अकोला न्यूज नेटवर्क ब्यूरो दिनांक २६ मई:- देश में आज सोमवार को देशी विकसित उच्च-रिज़ॉल्यूशन ग्लोबल फोरकास्ट मॉडल (HGFM) यानी भारत फोरकास्ट सिस्टम (BFS) लॉन्च होने जा रही है. पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह इस नई मौसम पूर्वानुमान प्रणाली का उद्घाटन करेंगे. यह सिस्टम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ट्रॉपिकल मीट्रोलॉजी (IITM), पुणे द्वारा विकसित किया गया है.
दरअसल, भारत फोरकास्ट सिस्टम (BFS) का रिज़ॉल्यूशन 6 किलोमीटर होगा, जो पहले इस्तेमाल हो रहे 12 किलोमीटर के ग्लोबल फोरकास्ट सिस्टम (GFS) से दोगुना बेहतर है. इसका मतलब यह है कि अब मौसम की भविष्यवाणी ज्यादा सटीक और स्थानीयकृत होगी, खासकर भारी बारिश, तूफान और अन्य आकस्मिक मौसमीय घटनाओं के मामले में.
आर्का सुपरकंप्यूटर देगा अभूतपूर्व शक्ति
BFS सिस्टम का मुख्य इंजन है देशी तौर पर विकसित आर्का सुपरकंप्यूटर, जिसकी क्षमता 11.77 पेटाफ्लॉप्स और 33 पेटाबाइट स्टोरेज है. यह सुपरकंप्यूटर IITM पुणे में स्थित है और वर्तमान में इस्तेमाल हो रहे प्रत्यूष सुपरकंप्यूटर की तुलना में मौसम पूर्वानुमान का समय काफी कम कर देगा.
इसमें देशभर के 40 डॉपलर वेदर राडार से डाटा एकत्रित किया जाएगा, जिसे जल्द ही 100 राडार तक बढ़ाने की योजना है. यह 2 घंटे के भीतर होने वाले मौसम की सही जानकारी प्रदान करने वाली ‘नाउकास्ट’ सेवा को और अधिक प्रभावी बनाएगा, जो सबसे सटीक मौसम पूर्वानुमान माना जाता है.
AI और मशीन लर्निंग से होगा BFS का कायाकल्प
भारत फोरकास्ट सिस्टम मूलतः एक न्यूमेरिकल वेदर प्रिडिक्शन (NWP) मॉडल है, लेकिन इसमें हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग तकनीकों का समावेश किया गया है. AI मॉडल को उच्च रिज़ॉल्यूशन, स्थानिक और कालानुक्रमिक रूप से सुसंगत डेटा की आवश्यकता होती है, जो BFS सिस्टम प्रदान कर सकेगा. हालांकि, कुछ डेटा-साझाकरण की सीमाएं (जैसे जलवायु-प्रभावित रोगों के लिए स्वास्थ्य डेटा) चुनौतियां उत्पन्न करती हैं.
भारत बनेगा मौसम पूर्वानुमान में वैश्विक अग्रणी
BFS के जरिए उत्पन्न डेटा दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए खुले रूप में उपलब्ध होगा, जिससे वैश्विक मौसम विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा. यह भारत को वैश्विक मौसम पूर्वानुमान अनुसंधान में अग्रणी देशों में शुमार करेगा, खासतौर पर उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान के क्षेत्र में.
इस परियोजना में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का भी सहयोग शामिल है, जो INSAT और IRS श्रृंखला जैसे उपग्रहों से मौसम संबंधित डेटा प्रदान करेगा. साथ ही, ब्रिटेन के मेट ऑफिस जैसे अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ सहयोग से डेटा समाकलन और मौसम पूर्वानुमान की सटीकता और बेहतर होगी.